मानव में आर्तव चक्र (Menstrual Cycle in Human)
मानव में आर्तव चक्र (Menstrual Cycle in Human) ~
प्रजनन चक्र ~
सभी मादा स्तनियों के प्रजनन में पायी जाने वाली सभी घटनायें एक चक्रीय क्रम में घटित होती है, जिसे प्रजनन चक्र या अंडाशयी चक्र कहते हैं। स्तनियों में प्रजनन चक्र दो प्रकार के होते हैं -
(१) मद चक्र (Estrous Cycle)
(२) आर्तव चक्र (Menstrual Cycle)
मद चक्र कुछ समय के लिए होता है यह लैंगिंक परिपव्कता से संबंधित होता है। प्राइमेट स्तनी को छोड़कर शेष सभी स्तनियों में यह चक्र पाया जाता है। इस अवधि में मादा जंतु ,नर को सहवास हेतु ग्रहण करती हैं।
महिलाओं में माहवारी चक्र पाया जाता है जिसमें जनन काल में एस्ट्रोजन सतत रूप से स्त्रावित होता रहता है। जिसके कारण मादा जनन तंत्र में नियमित चक्रीय परिवर्तन होते है जिन्हें आर्तव चक्र (Menstrual Cycle) कहते है। मेन्सस् का अर्थ माह होता है। प्रथम बार माहवारी (Puberty) 12-14 वर्ष की आयु में शुरू होती है जिसे रजोदर्शन (Menarche) कहते हैं। यह चक्र लगभग 50 वर्ष की आयु में समाप्त हो जाता है। इस अवस्था को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहते है। स्त्रियों में आर्तव चक्र (Menstrual cycle) औसतन 28 दिन का होता है।
आर्तव चक्र की निम्न अवस्थाएं ~
(1) आर्तव चक्र (Menstrual cycle)
प्राइमेट स्तनियों में होने वाले जनन चक्र को आर्तव चक्र कहते हैं। रजस्राव प्रारम्भ के पहले दिन से यह चक्र प्रारम्भ होता है जो तीन से पांच दिन तक रहता है , जिसे रजोधर्म या ऋतुस्राव भी कहते हैं। इस प्रावस्था में रक्त ,ऊतक द्रव (Tissue fluid) ,श्लेष्मा (Mucus) व उपकला कोशिकाओं का आवर्ती आस्राव (Periodic discharge) होता है। यह एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरोन की अचानक आई कमी के कारण होता है इस प्रावस्था में गर्भाशय की अंत:स्तर का अस्थाई स्तर स्ट्रेटम - फक्शनेलिस (Stratum functionalis) जड़ जाती है। गर्भाशय अंत:स्तर अब बहुत पतली हो जाती है क्योंकि अब स्ट्रैटम बेसेलिस ही शेष बचती है। यह आस्राव गर्भाशयी गुहा से गर्भाशय - ग्रीवा में होता हुआ योनि (Vagina) से बाहर चला जाता है। सामान्यतः पांचवें दिन यह आस्राव रुक जाता है। रजोधर्म तभी आता जब अंडोर्त्सग से पश्चात् अंडाणु का निषेचन नहीं होता है। रजस्राव की अनुपस्थिति गर्भधारण का संकेत है।
(2) पुट्टकीय प्रावस्था (Follicular phase) -
इस माहवारी के ६वें दिन से १३वें दिन तक होती है
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