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मानव में आर्तव चक्र (Menstrual Cycle in Human)

    मानव में आर्तव चक्र     (Menstrual Cycle in     Human) ~  प्रजनन चक्र ~  सभी मादा स्तनियों के प्रजनन में पायी जाने वाली सभी घटनायें एक चक्रीय क्रम में घटित होती है, जिसे प्रजनन चक्र या अंडाशयी चक्र कहते हैं। स्तनियों में प्रजनन चक्र दो प्रकार के होते हैं - (१) मद चक्र (Estrous Cycle) (२) आर्तव चक्र (Menstrual Cycle)   मद चक्र कुछ समय के लिए होता है यह लैंगिंक परिपव्कता से संबंधित होता है। प्राइमेट स्तनी को छोड़कर शेष सभी स्तनियों में यह चक्र पाया जाता है। इस अवधि में मादा जंतु ,नर को सहवास हेतु ग्रहण करती हैं। महिलाओं में माहवारी चक्र पाया जाता है जिसमें जनन काल में एस्ट्रोजन सतत रूप से स्त्रावित होता रहता है। जिसके कारण मादा जनन तंत्र में नियमित चक्रीय परिवर्तन होते है जिन्हें आर्तव चक्र (Menstrual Cycle) कहते है। मेन्सस् का अर्थ माह होता है। प्रथम बार माहवारी (Puberty) 12-14 वर्ष की आयु में शुरू होती है जिसे रजोदर्शन (Menarche) कहते हैं। यह चक्र लगभग 50 वर्ष की आयु में समाप्त हो जाता है। इस अवस्था को रजोनिवृत्ति (Menopaus...

मानव का तंत्रिका तंत्र (Nervous System of man)

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  जीवविज्ञान {जूलोजी} सरल नोट्स  ~ मानव का तंत्रिका तंत्र ~ (Nervous system of man)   शरीर के विभिन्न अंगों के समस्त कार्यों में संतुलन एवं सामंजस्य बनाकर शरीर पर नियंत्रण करने वाला जो तंत्र होता है उसे तंत्रिका तंत्र कहते हैं। इसमें कार्य करने वाली कोशिकाओं को तंत्रिका कोशिकाएं कहते हैं जिसे तंत्रिका तंत्र की क्रियात्मक इकाई भी कहते हैैं। • सिनेप्सिस -  एक तंत्रिका कोशिका के तंत्रिका काय (Cyton) के डेन्ड्राइट्स दूसरी कोशिकाओं के तंत्रिकाक्ष से विशिष्ट संधि द्वारा जुड़े रहती है इसे ही सिनेप्सिस कहा जाता है।   तंत्रिका तंत्र के कार्य (Functions of nervous system) -   • यह शरीर के विभिन्न्न अंगों की अलग-अलग क्रियाओंं को संचालित एवं नियंत्रित करता है। • यह संवेदी अंगों के माध्यम से बाहर की दुनिया के विषय में सूचना देता रहता है। • यह समस्त ऐच्छिक पेशीय क्रियाकलापों जैसे की दौड़ना ,बोलना आदि का भी नियंत्रण करता है। • यह अनेक अनैच्छिक क्रियाकलापों जैसे कि सांस लेना ,हृदय का स्पंदन , आहार नाल में भोजन का संचलन आदि का भी नियमन करता है।     प्राणियों में त...

मानव के उत्सर्जन तंत्र की क्रियाविधि(mechanism of human excretory system

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  जीवविज्ञान {जूलोजी} सरल नोट्स  ~मानव का उत्सर्जन तंत्र~ ~उत्सर्जन तथा मूत्र निर्माण की क्रियाविधि~ यकृत कोशिकाओं में बने यूरिया को रूधिर द्वारा वृक्कों में लाया जाता है। यकृत से यूरिया युक्त रूधिर यकृत शिरा पश्च महाशिरा में डाल दिया जाता है। पश्च महाशिरा से यूरिया को रूधिर से पृथक किया जाता है , जिसे मूत्र निर्माण कहते हैं। मूत्र निर्माण की क्रियाविधि निम्न चरणों में पूर्ण होती हैं - 1. परानिस्यंदन (Ultrafilteration) 2. वरणात्मक पुनरावशोषण (Selective                reabsorption 3.स्रावण (Secretion) 1.  परानिस्यन्दन (Ultrafilteration) - बोमन सम्पुट वृक्क नलिका में एक सूक्ष्म छलनी की भांति कार्य करता है इसमें अभिवाही धमनिका यूरिया युक्त रूधिर लाती है और अपवाही धमनिका इससे रूधिर बाहर ले जाती है। चित्र - नेफ्रोन के विभिन्न भागों द्वारा प्रमुख पदार्थों का पुनरावशोषण एवं स्रवण  केशिका गुच्छ की कोशिका भित्ति में लगभग 0.1 Um व्य...

मानव का उत्सर्जन तंत्र(Excretory system of Human)

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 मानव का उत्सर्जन तंत्र (Excretory System of Human)- शरीर में होने वाली उपापचयी क्रियाओं के फल स्वरुप विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट पदार्थों का निर्माण होता है जो शरीर के लिए ना केवल अनावश्यक बल्कि हानिकारक भी होती है उदाहरण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड, जल, नाइट्रोजन अवशिष्ट पदार्थ जिसमें अमोनिया, यूरिया, यूरिक अम्ल आदि। कार्बन डाई ऑक्साइड एवं जल को श्वसन,मल -मूत्र तथा पसीने द्वारा बाहर  निकाल दिए जाते हैं । उत्सर्जन- नाइट्रोजनी अवशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। प्रोटीन उपापचय से निर्मित नाइट्रोजनी अवशिष्ट पदार्थों को जटिल रासायनिक क्रियाओं के फल स्वरुप विशेष उत्सर्जी रंगो द्वारा बाहर निकाला जाता है। शरीर के वे अंग जो अवशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करते हैं, उत्सर्जी अंग कहलाते है जो उत्सर्जी अंग मिलकर उत्सर्जन तंत्र का निर्माण करते हैं। नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थो का निष्कासन -  1.अमोनिया (Ammonia) - प्रोटीन व अमीनो अम्ल के अपघटन से अमोनिया उत्पन्न होती है जो की शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक होती है। बहुत ही हानिकारक होने के कार...

मानव का श्वसन तंत्र ( Respriatory system of human)

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  जीवविज्ञान {जूलोजी} सरल नोट्स मानव का श्वसन तंत्र (Respriatory system of human) जाने श्वसन तंत्र के बारे में तो आज का अध्याय है श्वसन तंत्र के बारे में तो पाऐ पूरी तरह से जानकारी आप जानते हैं कि जो सजीव ह़ोते है उन्हें अपनी जैविक क्रियाओं के संचालन हेतु ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो उन्हें ऊर्जाकीआवश्यकता खाद्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से प्राप्त होती है।  श्वसन तंत्र (Respriatory system )- श्वसन एक जैव रासायनिक क्रिया है , जो जीवित कोशिकाओं में उपस्थित भोजन के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा (Engery ) जल कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त होती है। यह ऊर्जा  रासायनिक ऊर्जा ATP के रूप में संग्रहित होती है कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकाल दी जाती है।                 श्वसन के प्रकार श्वसन  दो प्रकार का होता है - (1) बाह्म श्वसन  (2) आंतरिक या कोशिकीय श्वसन।   (1) बाह्म श्वसन (ExternalRespriatoio) -                                         ...