Posts

Showing posts with the label Diegestive glands

मानव का रक्त परिसंचरण तंत्र(Blood circulatory system of human

Image
जीवविज्ञान {जूलोजी} सरल नोट्स मानव का रक्त परिसंचरण तंत्र (Blood Circulatory System of human) एककोशिक जीव जो ऑक्सीजन तथा पोषण जीते माध्यम से ग्रहण कर लेती है तथा कार्बन डाइऑक्साइड व उत्सर्जी पदार्थों को सीधे माध्यम में त्याग देते हैं। अधिकांश बहुकोशिक जीवों की सभी कोशिकायें वातावरण के अनुकूल नहीं रहती हैं , ऐसे जियो को एक तंत्र की आवश्यकता होती है जो गैस से विनिमय एवं खाद्य पदार्थों की आपूर्ति कर सकें तथा उत्सर्जी पदार्थों को कोशिका से उत्सर्जन अंगो तक ले जा सके ऐसे तंत्र को ही परिसंचरण तंत्र कहते हैं। भिन्नता के आधार पर परिसंचरण तंत्र दो प्रकार का होता है - (1) खुला परिसंचरण तंत्र ( Open Circulatory System) - ऐसे परिसंचरण में तरल द्रव कोशिका तथा ऊतकों के मध्य  प्रवाहित होता है अर्थात संवहनी तरल बंद नलिकाओं में नहीं बहता है। जैसे - कुछ मौलस्क तथा कीटों में। (2) बंद परिसंचरण तंत्र (Close Circulatory System) -  इस परिसंचरण तंत्र में संवहनी तरल बंद नलिकाओं में बहता है। उदाहरण - खरगोश व मनुष्य में।               रक्त का संगठन (Composition of bloo...

मानव का उत्सर्जन तंत्र(Excretory system of Human)

Image
 मानव का उत्सर्जन तंत्र (Excretory System of Human)- शरीर में होने वाली उपापचयी क्रियाओं के फल स्वरुप विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट पदार्थों का निर्माण होता है जो शरीर के लिए ना केवल अनावश्यक बल्कि हानिकारक भी होती है उदाहरण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड, जल, नाइट्रोजन अवशिष्ट पदार्थ जिसमें अमोनिया, यूरिया, यूरिक अम्ल आदि। कार्बन डाई ऑक्साइड एवं जल को श्वसन,मल -मूत्र तथा पसीने द्वारा बाहर  निकाल दिए जाते हैं । उत्सर्जन- नाइट्रोजनी अवशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। प्रोटीन उपापचय से निर्मित नाइट्रोजनी अवशिष्ट पदार्थों को जटिल रासायनिक क्रियाओं के फल स्वरुप विशेष उत्सर्जी रंगो द्वारा बाहर निकाला जाता है। शरीर के वे अंग जो अवशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करते हैं, उत्सर्जी अंग कहलाते है जो उत्सर्जी अंग मिलकर उत्सर्जन तंत्र का निर्माण करते हैं। नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थो का निष्कासन -  1.अमोनिया (Ammonia) - प्रोटीन व अमीनो अम्ल के अपघटन से अमोनिया उत्पन्न होती है जो की शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक होती है। बहुत ही हानिकारक होने के कार...

मानव का रक्त परिसंचरण तंत्र

Image
    Biology {Zology} Notes     रूधिर समूह  (Blood Groups):- मनुष्य में रुधिर एक समान नहीं होता क्योंकि इसमें एक दूसरे से कई प्रकार की भिन्नता हो सकती है रक्ताणुओं  की सतह पर पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के प्रतिजन (Antigen)के आधार पर रक्त को कई अलग-अलग समूह में बांटा गया है। एंटीजन या एग्लुटिनोजन ऐसे पदार्थ होते है जो एंटीबॉडी या एग्लुटिनिन नाम के पदार्थों का निर्माण प्रेरित करते हैं मनुष्य में एंटीजन के दो प्रमुख समूह होते हैं जिन्हें ABO तंत्र तथा RH तंत्र कहते हैं। 1.ए.बी.ओ.-तंत्र (ABO-System):- ABO तंत्र में दो प्रकार के एंटीजन होते हैं जीन की खोज लैंडस्टीनर की थी। उसने कहा था कि एंटीजन A तथा B रक्ताणुओं की सतह पर पाई जाती हैं। जो ग्लाइकोप्रोटीन होतेे हैं प्लाज्मा में दो प्रकार की  एंटीबॉडी Anti-A या a तथा Anti-B या bपाई जाती हैं। मानव जाती के सदस्यों में उपस्थित एंटीजन तथा एंटीबॉडी के अंतर के कारण  के चार समूह होते हैं।  यदि किसी व्यक्ति के रूधिर में उससे अलग रुधिर समूह का रूधिर मिला दिया जाता है तो एंटीजन एंटीबॉडी से प्रतिक्रिया क...

पाचक ग्रंथियां एवं उनके कार्य(Diegestive glands)

Image
जीवविज्ञान {जूलोजी} सरल नोट्स पाचक ग्रंथियां  एवं उनके कार्य           (Diegestive glands) मानव के आहारनाल से संबंधित तीन पाचक ग्रंथियां होती है 1.लार ग्रंथियां   2.यकृत 3.अग्न्याशय। 1.  लार ग्रंथियां  (Salivary Glands)    मानव में 3 जोड़ी लार ग्रंथियां होती है इन्हें अधोजिव्हा अधोजंभ एवं कर्णपूर्व ग्रंथियां कहते हैं। इन ग्रंथियों द्वारा स्रावित लार मुख गुहिका में आती हैं। लार क्षारीय तरल होता है। इसमें जल , टायलिन,लाइसोजाइम,श्लेष्मा एवं सोडियम क्लोराइड , पोटेशियम बाइकार्बोनेट आदि के उपस्थित होते हैं टायलिन पाचक एंजाइम है। लाइसोजाइम जीवाणुओं को नष्ट करने का काम करता है। 2.यकृत(Liver) यकृत मानव शरीर की सबसे बड़ी पाचक ग्रंथि है जिसका निर्माण भ्रूण की एंडोडर्म से होता है।स्वस्थ‌‌ मनुष्य में यकृत का भार (Weight) 1.2से 1.5किलोग्राम होता है। यकृत लगभग 15 से 22 सेंटीमीटर चौङा होता है। यकृत तनुपट(डायफ्राम) के नीचे दांयी तरफ स्थित होता है। यकृत में दो प्रमुख पालिया होती है    ~ दांयी पालि तथा बांयी पालि।  दांयी पालि ...