Posts

मानव का अध्यावरणी तंत्र (Integumementary System of Human)

Image
             ~जीवविज्ञान (जूलोजी)~ सरल नोट्स  मानव का अध्यावरणी तंत्र (Integumentary System of Human)- मानव के शरीर पर बाह्म आवरण के रूप में त्वचा पाई जाती है। मानव की त्वचा में मीसोडर्मल कोशिका ,वर्णक मैलेनिन युक्त होती है। यह संयोजी ऊतक द्वारा नीचे पाई जाने वाली पेशियों से जुड़ी रहती है त्वचा का पेशीय स्तर एवं देहगुहीय उपकला मिलकर देह भित्ति (Body wall) बनाते हैं।               त्वचा की औतिकी।                                  (Histology of skin) मानव की त्वचा के कितने स्तर होते हैं - मानव की त्वचा में दो स्तर होते हैं- * अधिचर्म (Epidermis) - यह भ्रूणीय एक्टोडर्म (Ectoderm) से बनती है। इसमें रुधिर वाहिनीयां नहीं पाई जाती है। शरीर के अलग-अलग भागों में इसकी मोटाई अलग-अलग होती है। जिन भागों में रगड़ लगती है वहां यह सबसे अधिक मोटी होती है जैसे तलुए एवं हथेली। नेत्र एवं कार्निया में यह बहुत पतली होती है। स्तरित एपिथीलियम ऊतक -...

मानव का तंत्रिका तंत्र (Nervous System of man)

Image
  जीवविज्ञान {जूलोजी} सरल नोट्स  ~ मानव का तंत्रिका तंत्र ~ (Nervous system of man)   शरीर के विभिन्न अंगों के समस्त कार्यों में संतुलन एवं सामंजस्य बनाकर शरीर पर नियंत्रण करने वाला जो तंत्र होता है उसे तंत्रिका तंत्र कहते हैं। इसमें कार्य करने वाली कोशिकाओं को तंत्रिका कोशिकाएं कहते हैं जिसे तंत्रिका तंत्र की क्रियात्मक इकाई भी कहते हैैं। • सिनेप्सिस -  एक तंत्रिका कोशिका के तंत्रिका काय (Cyton) के डेन्ड्राइट्स दूसरी कोशिकाओं के तंत्रिकाक्ष से विशिष्ट संधि द्वारा जुड़े रहती है इसे ही सिनेप्सिस कहा जाता है।   तंत्रिका तंत्र के कार्य (Functions of nervous system) -   • यह शरीर के विभिन्न्न अंगों की अलग-अलग क्रियाओंं को संचालित एवं नियंत्रित करता है। • यह संवेदी अंगों के माध्यम से बाहर की दुनिया के विषय में सूचना देता रहता है। • यह समस्त ऐच्छिक पेशीय क्रियाकलापों जैसे की दौड़ना ,बोलना आदि का भी नियंत्रण करता है। • यह अनेक अनैच्छिक क्रियाकलापों जैसे कि सांस लेना ,हृदय का स्पंदन , आहार नाल में भोजन का संचलन आदि का भी नियमन करता है।     प्राणियों में त...

मानव के उत्सर्जन तंत्र की क्रियाविधि(mechanism of human excretory system

Image
  जीवविज्ञान {जूलोजी} सरल नोट्स  ~मानव का उत्सर्जन तंत्र~ ~उत्सर्जन तथा मूत्र निर्माण की क्रियाविधि~ यकृत कोशिकाओं में बने यूरिया को रूधिर द्वारा वृक्कों में लाया जाता है। यकृत से यूरिया युक्त रूधिर यकृत शिरा पश्च महाशिरा में डाल दिया जाता है। पश्च महाशिरा से यूरिया को रूधिर से पृथक किया जाता है , जिसे मूत्र निर्माण कहते हैं। मूत्र निर्माण की क्रियाविधि निम्न चरणों में पूर्ण होती हैं - 1. परानिस्यंदन (Ultrafilteration) 2. वरणात्मक पुनरावशोषण (Selective                reabsorption 3.स्रावण (Secretion) 1.  परानिस्यन्दन (Ultrafilteration) - बोमन सम्पुट वृक्क नलिका में एक सूक्ष्म छलनी की भांति कार्य करता है इसमें अभिवाही धमनिका यूरिया युक्त रूधिर लाती है और अपवाही धमनिका इससे रूधिर बाहर ले जाती है। चित्र - नेफ्रोन के विभिन्न भागों द्वारा प्रमुख पदार्थों का पुनरावशोषण एवं स्रवण  केशिका गुच्छ की कोशिका भित्ति में लगभग 0.1 Um व्य...

मानव का उत्सर्जन तंत्र(Excretory system of Human)

Image
 मानव का उत्सर्जन तंत्र (Excretory System of Human)- शरीर में होने वाली उपापचयी क्रियाओं के फल स्वरुप विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट पदार्थों का निर्माण होता है जो शरीर के लिए ना केवल अनावश्यक बल्कि हानिकारक भी होती है उदाहरण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड, जल, नाइट्रोजन अवशिष्ट पदार्थ जिसमें अमोनिया, यूरिया, यूरिक अम्ल आदि। कार्बन डाई ऑक्साइड एवं जल को श्वसन,मल -मूत्र तथा पसीने द्वारा बाहर  निकाल दिए जाते हैं । उत्सर्जन- नाइट्रोजनी अवशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। प्रोटीन उपापचय से निर्मित नाइट्रोजनी अवशिष्ट पदार्थों को जटिल रासायनिक क्रियाओं के फल स्वरुप विशेष उत्सर्जी रंगो द्वारा बाहर निकाला जाता है। शरीर के वे अंग जो अवशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करते हैं, उत्सर्जी अंग कहलाते है जो उत्सर्जी अंग मिलकर उत्सर्जन तंत्र का निर्माण करते हैं। नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थो का निष्कासन -  1.अमोनिया (Ammonia) - प्रोटीन व अमीनो अम्ल के अपघटन से अमोनिया उत्पन्न होती है जो की शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक होती है। बहुत ही हानिकारक होने के कार...

मानव का रक्त परिसंचरण तंत्र

Image
    Biology {Zology} Notes     रूधिर समूह  (Blood Groups):- मनुष्य में रुधिर एक समान नहीं होता क्योंकि इसमें एक दूसरे से कई प्रकार की भिन्नता हो सकती है रक्ताणुओं  की सतह पर पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के प्रतिजन (Antigen)के आधार पर रक्त को कई अलग-अलग समूह में बांटा गया है। एंटीजन या एग्लुटिनोजन ऐसे पदार्थ होते है जो एंटीबॉडी या एग्लुटिनिन नाम के पदार्थों का निर्माण प्रेरित करते हैं मनुष्य में एंटीजन के दो प्रमुख समूह होते हैं जिन्हें ABO तंत्र तथा RH तंत्र कहते हैं। 1.ए.बी.ओ.-तंत्र (ABO-System):- ABO तंत्र में दो प्रकार के एंटीजन होते हैं जीन की खोज लैंडस्टीनर की थी। उसने कहा था कि एंटीजन A तथा B रक्ताणुओं की सतह पर पाई जाती हैं। जो ग्लाइकोप्रोटीन होतेे हैं प्लाज्मा में दो प्रकार की  एंटीबॉडी Anti-A या a तथा Anti-B या bपाई जाती हैं। मानव जाती के सदस्यों में उपस्थित एंटीजन तथा एंटीबॉडी के अंतर के कारण  के चार समूह होते हैं।  यदि किसी व्यक्ति के रूधिर में उससे अलग रुधिर समूह का रूधिर मिला दिया जाता है तो एंटीजन एंटीबॉडी से प्रतिक्रिया क...