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Showing posts from 2021

मानव में आर्तव चक्र (Menstrual Cycle in Human)

    मानव में आर्तव चक्र     (Menstrual Cycle in     Human) ~  प्रजनन चक्र ~  सभी मादा स्तनियों के प्रजनन में पायी जाने वाली सभी घटनायें एक चक्रीय क्रम में घटित होती है, जिसे प्रजनन चक्र या अंडाशयी चक्र कहते हैं। स्तनियों में प्रजनन चक्र दो प्रकार के होते हैं - (१) मद चक्र (Estrous Cycle) (२) आर्तव चक्र (Menstrual Cycle)   मद चक्र कुछ समय के लिए होता है यह लैंगिंक परिपव्कता से संबंधित होता है। प्राइमेट स्तनी को छोड़कर शेष सभी स्तनियों में यह चक्र पाया जाता है। इस अवधि में मादा जंतु ,नर को सहवास हेतु ग्रहण करती हैं। महिलाओं में माहवारी चक्र पाया जाता है जिसमें जनन काल में एस्ट्रोजन सतत रूप से स्त्रावित होता रहता है। जिसके कारण मादा जनन तंत्र में नियमित चक्रीय परिवर्तन होते है जिन्हें आर्तव चक्र (Menstrual Cycle) कहते है। मेन्सस् का अर्थ माह होता है। प्रथम बार माहवारी (Puberty) 12-14 वर्ष की आयु में शुरू होती है जिसे रजोदर्शन (Menarche) कहते हैं। यह चक्र लगभग 50 वर्ष की आयु में समाप्त हो जाता है। इस अवस्था को रजोनिवृत्ति (Menopaus...

मनुष्य में होने वाले भ्रूणीय परिवर्धन (Embryonic Development in Human)

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    Biology (Zoology) ~ Simple knowledge       मनुष्य में भ्रूणीय परिवर्धन (Embryonic Development in Human)   • भ्रूणोद्भवन (Embryogenesis) ~      युग्मनज (Zygote) में कोशिका विभाजन व कोशिकीय विभेदन से भ्रूणीय विकास को मानव भ्रूणोद्भवन कहते है।  यह प्रक्रिया क्रमिक विकास मनुष्य में एक कोशिकीय युग्मनज से प्रारंभ होकर नवजात शिशु के विकास तक होती है।        विदलन (Cleavage) एवं तूतकभवन (Morulation) ~  मनुष्य में निषेचन की क्रिया अंडवाहनी के फैलोपियन नलिका में संपन्न होती है , जहां पर आपको पता है शुक्राणु ओर अंडाणु संयुग्मन से द्विगुणित युग्मनज (Zygote) का निर्माण करते हैं। युग्मनज में होने वाले शुरूआती समसूत्री विभाजनों को ही तो विदलन कहते हैं। इस विदलन की शुरुआत तभी हो जाती है जब युग्मनज अंडवाहिनी से गर्भाशय की तरफ बढ़ता है। सबसे पहले युग्मनज समसूत्री विभाजन द्वारा दो समान कोशिकाओं में विभाजित होता है , जिसे द्विकोशीक अवस्था (Two celled stage) कहते हैं। उसके बाद समसूत्री विभाजन से इन दो कोशिकाओं में से बड़ी कोशिका ...

मानव में निषेचन (Fertilization in Human)

            मानव में निषेचन (Fertilization in Human) अगुणित नर का शुक्राणु व मादा का अंडाणु युग्मकों के संयोग व दोनों युग्मकों के प्राक्केन्द्रकों (Pronuclei) के संलयन को निषेचन कहते हैं। युग्मकों के प्राक्केन्द्रकों का संलयन युग्मक संलयन (Karyogamy) कहलाता है , जबकि दो युग्मकों के दो गुणसूत्र समुच्चय का मिश्रण उभयमिश्रण कहलाता है। यह सामान्य फैलोपियन ट्यूब के एम्पुला (Ampulla) में पाया है।              निषेचन के प्रकार ~   (Types of fertilization) ~ निषेचन की प्रक्रिया दो प्रकार की होती हैं। १.बाह्रा निषेचन (External Fertilization) ~  बाह्य निषेचन में नर व मादा युग्मक शरीर के बाहर संलयित होते हैं। यह जो निषेचन की प्रक्रिया है यह जलीय माध्यम में संपन्न होती है। यह मुख्यत लेबियो (मछलियों) ,मेढ़क (उभयचरों ) तथा सितारा मछली (इकाइनोडर्म) सभी में पाया जाता है। २.अंत: निषेचन (Internal Fertilization) ~  अंतः निषेचन में युग्मकों का संलयन मादा जनन नाल के कुछ भागों में मुख्य ऑस्टियम के पास होता है। यह अंडप्रजनक (...

मानव में युग्मकजनन (Gametogenesis in Human)

  जीवविज्ञान ज्ञान             मानव में युग्मकजनन (Gametogenesis in Human )        what   is    Gametogenesis       (Biology Zoology Knowledge) युग्मकजनन करता है :~    आध जनन कोशिकाओं (Primordial sex cells) के द्वारा जनदों में युग्मकों का निर्माण युग्मकजनन कहलाता है। शुक्राणु जनन व अंडाणु जनन की क्रिया से वर्षण एवं अंडाशय में आध जनन कोशिकाओं द्वारा शुक्राणुओं एवं अंडाणुओं का निर्माण होता है। द्विलिंगी (Bisexual) प्राणियों में नर तथा मादा युग्मक एक ही प्राणी द्वारा उत्पन्न किये जाते है जबकि एक लिंगी प्राणियों में नर द्वारा शुक्राणु तथा मादा द्वारा अंडा उत्पन्न किये जाते हैैं। युग्मकजनन की क्रिया (Follicle stimulating hormone) के द्वारा संपन्न होती है। शुक्रजनन , शुक्राणु जनन (Spermatogenesis) :~   वृषण में आद्द जनन कोशिका के द्वारा शुक्राणु निर्माण शुक्राणु जनन कहलाता है। वृषण के भीतर दो प्रकार की कोशिकाएं कायिक या सरटोली कोशिका व जनन कोशिका पाई जाती है। सरटोली कोशिका श...

मानव का जनन तंत्र (Reproductive System of Human)

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      मानव का जनन तंत्र (Reproductive System of Human) :~ जनन :~   जीवों में संतान उत्पन्न करने की प्रक्रिया जनन कहलाती हैं। इंसान में लैंगिक जनन पाया जाता है नर तथा मादा को बाह्रा लक्षणों के आधार पर पहचाना जाता है जैसे कि नर में शिश्न (Penis) व वृषण कोष पाये जाते है जबकि स्त्रियों में स्तन ग्रंथियां विकसित होती है। नर में ये केवल अवशेषी रूप में होती है  पुरूषों में दाढ़ी मूछ की उपस्थित  ,आवाज भारी होना यह लक्षण पुरूषों में पाये जाते हैं। स्त्रियों में महीन आवाज ,कोमल तथा नितम्बों के क्षेत्र में वसा जमाव के कारण श्रोणि का अधिक विकसित होना यह लक्षण स्त्रियों में पाये जाते हैं।   आदमी का जनन‌ तंत्र (Male Reproductive System) :~ नर जनन तंत्र को दो प्रमुख भागों में बांट सकते है  प्राथमिक जननांग तथा सहायक जननांग। प्राथमिक जननांग (Gonads)  :~ पुरषों में वृृृषण (Testes)प्राथमिक जननांग के अंतर्गत आते हैं। सहायक जननांग (Accessory reproductive organs) :~  इसमें मुख्यतया वृषण कोष (Scrotal sac) , अधिवृषण (Epididymis) , शुक्र वाहिनियां (Vas defe...

मानव का रक्त परिसंचरण तंत्र(Blood circulatory system of human

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जीवविज्ञान {जूलोजी} सरल नोट्स मानव का रक्त परिसंचरण तंत्र (Blood Circulatory System of human) एककोशिक जीव जो ऑक्सीजन तथा पोषण जीते माध्यम से ग्रहण कर लेती है तथा कार्बन डाइऑक्साइड व उत्सर्जी पदार्थों को सीधे माध्यम में त्याग देते हैं। अधिकांश बहुकोशिक जीवों की सभी कोशिकायें वातावरण के अनुकूल नहीं रहती हैं , ऐसे जियो को एक तंत्र की आवश्यकता होती है जो गैस से विनिमय एवं खाद्य पदार्थों की आपूर्ति कर सकें तथा उत्सर्जी पदार्थों को कोशिका से उत्सर्जन अंगो तक ले जा सके ऐसे तंत्र को ही परिसंचरण तंत्र कहते हैं। भिन्नता के आधार पर परिसंचरण तंत्र दो प्रकार का होता है - (1) खुला परिसंचरण तंत्र ( Open Circulatory System) - ऐसे परिसंचरण में तरल द्रव कोशिका तथा ऊतकों के मध्य  प्रवाहित होता है अर्थात संवहनी तरल बंद नलिकाओं में नहीं बहता है। जैसे - कुछ मौलस्क तथा कीटों में। (2) बंद परिसंचरण तंत्र (Close Circulatory System) -  इस परिसंचरण तंत्र में संवहनी तरल बंद नलिकाओं में बहता है। उदाहरण - खरगोश व मनुष्य में।               रक्त का संगठन (Composition of bloo...

मानव में संवेदी अंग ; ज्ञानेन्द्रियां (Sensory Organs of Human ;Sense Organs)

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         जीवविज्ञान {जूलोजी} सरल नोट्स मानव के संवेदी अंग; ज्ञानेन्द्रियां ( Sensory Oragans of Human ;Sense Organs) ~ संवेदी अंग ~   सभी संवेदनाओं को ग्रहण करने वाले अंग संवेदी अंग कहलाते हैं। संवेदी अंग शरीर में पाए जाने वाले वे अंग जिनके माध्यम से मानव का शरीर बाह्रा पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। संवेदी अंगों को ज्ञानेन्द्रियां कहते हैं। शरीर में महसूस दृष्टि , ध्वनि, गंध , स्वाद आदि के बारे में मनुष्य में पाई जाने वाली पांच प्रकार की ज्ञानेंद्रियां जानकारी उपलब्ध कराती  हैं। जैसे कि प्यास लगना ,भूख लगना , मीठा लगना , कुत्ते की आवाज सुनाई देना ,ठंड ,गर्मी  का अनुभव करना आदि आदि सूचनाओं को तंत्रिका तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क या मेरुरज्जु तक भेज  देती है मस्तिष्क आवेगो को अलग-अलग वर्गीकृत कर देता है उनकी व्याख्या करता है और वंचित अनुक्रिया के लिए भेज देता है। मानव में संवेदी अंग एवं इन्द्रियों के प्रकार ~  मानव में संवेदी अंग एवं ज्ञन्द्रियां पांच प्रकार की होती है - दर्शनेन्द्रियां  ...

मानव का अध्यावरणी तंत्र (Integumementary System of Human)

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             ~जीवविज्ञान (जूलोजी)~ सरल नोट्स  मानव का अध्यावरणी तंत्र (Integumentary System of Human)- मानव के शरीर पर बाह्म आवरण के रूप में त्वचा पाई जाती है। मानव की त्वचा में मीसोडर्मल कोशिका ,वर्णक मैलेनिन युक्त होती है। यह संयोजी ऊतक द्वारा नीचे पाई जाने वाली पेशियों से जुड़ी रहती है त्वचा का पेशीय स्तर एवं देहगुहीय उपकला मिलकर देह भित्ति (Body wall) बनाते हैं।               त्वचा की औतिकी।                                  (Histology of skin) मानव की त्वचा के कितने स्तर होते हैं - मानव की त्वचा में दो स्तर होते हैं- * अधिचर्म (Epidermis) - यह भ्रूणीय एक्टोडर्म (Ectoderm) से बनती है। इसमें रुधिर वाहिनीयां नहीं पाई जाती है। शरीर के अलग-अलग भागों में इसकी मोटाई अलग-अलग होती है। जिन भागों में रगड़ लगती है वहां यह सबसे अधिक मोटी होती है जैसे तलुए एवं हथेली। नेत्र एवं कार्निया में यह बहुत पतली होती है। स्तरित एपिथीलियम ऊतक -...